ऐसा लगता है कुछ टूट सा गया है...
पिछले मोड़ पे कोई मुकाम छूट सा गया है...
पीछे मुडके वापिस जाने की कोशिश भी कर ली मैंने,
पर वापसी की राह कही खो सा गया है...
कोई पुकार लेता हमे वहा से शायद तो कदम बढाता भी मैं पर,
मेरे साथ मेरी यादों ने भी वहा से रुखसत लिया है...
अब आगे बढूँ ये भी मुमकिन नही लगता,
मेरे आगे कोई राह भी तो दीखता नही है...
अब तो मेरे साथ वक्त भी ठहर सा गया है,
अंधेरे जंगल में वो भी कही राह भटक सा गया है...
शायद मौत का इंतज़ार भी अब बेमानी सा है,
वो भी शायद किसी और ही राह बढ़ गया है!
3 comments:
Kewl wolfie:D
Its gettin better .. flow of words behtar hai:D
saale kaha rakha tha chhupa ke ye kavi aatma...last ke line me gajab ka emotional feeling hai...terrific...excellent...
बहुत अच्छे प्रसून,
मुझे ऐसा लगा जैसे ये मेरे अपने अनुभव हैं.
इनमें भाव-अभाव सबकुछ एक साथ हैं.
कहीं-कहीं वर्तनी (spelling) दुरुस्त करने की जरूरत है.
लेकिन, ये अपने आप में एक मुकम्मल सन्देश देता है.
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