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Thursday, June 4, 2009

जिंदगी के कुछ अनसुलझे सवाल!


ऐसा क्यूँ है के जिस सवाल का जवाब नही होता, वही चाहता हूँ मै पूछना?
ऐसा क्यूँ है के जो बात कहनी है उसके लिए सही शब्द नही चुन पता?
ऐसा क्यूँ है के जानता हु कोई कवि नही मै, फ़िर भी यूँ ही बेमतलब कलम रहता हूँ चलता?
ऐसा क्यों है के उम्मीदी के अंधेरे में भी किसी रौशनी का इंतज़ार ख़त्म नही होता?
ऐसा क्यूँ है के जिसकी तलाश है वो खुदा कही नही मिलता?
ऐसा क्यूँ है के दिल तो था पत्थर का, पर लगता है सीने में कोई खंजर सा चुभा हुआ?
ऐसा क्यूँ है के जब आँखों में आंसू नही फ़िर भी कुछ पलकों से बहार छलकने को तरसता?
ऐसा क्यूँ है के किसी को दो पल की खुशी देने क काबिल नही मै, फ़िर भी ख़ुद ही मुस्कुराने की कोशिश हु करता?
ऐसा क्यूँ है के अकेले रहना ही बेहतर जनके भी दोस्तों का साथ नही छोड़ सकता?
ऐसा क्यूँ है के जनता हु मौत में ही मिलेगी शान्ति मुझे, फ़िर भी जीना नही छोड़ता?
ऐसा क्यूँ है के जिस सवाल का जवाब नही होता, वही चाहता हूँ पूछना?


4 comments:

Unknown said...

awesome wolfie>:D< keep it up:D waiting fr more... and isme dardboht hai.. i repeat my words:D

LONE WOLF said...

Thnks nanzee! >:D<
il try writng more gibberish 2 bore doz dare 2 read dis!

Hmm..well, dard hoga to hi to khushi ki chahat hogi, andhera hoga to hi to ujale ki keemat hogi na. :)

Unknown said...

great effort
i liked that

Aditya Raj said...

this is the most creative stuffs by a non creative person and i do say it is amazing which forced me to ponder over such part of life....well done daadu