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Wednesday, December 2, 2009

बहोत ज़्यादा है!!




इस देश में हर चीज़ बहोत ज़्यादा है!
जानता हूँ, मानोगे नहीं, क्यूँकि यहाँ अविश्वास बहोत ज़्यादा है!
देश गरीब है तो गरीबों की गरीबी बहोत ज़्यादा है…
पर ध्यान से देखो तो यहाँ अमीरों की अमीरी बहोत ज़्यादा है!
कहीं पे भूख बहोत ज्यादा है तो कहीं पे भोग बहोत ज़्यादा है!!

ये देश बहोत बड़ा है तो यहाँ लोग भी बहोत ज़्यादा है!
वैसे तो हमारा देश एक है मगर, यहाँ प्रदेश बहोत ज़्यादा है!
यूँ  तो हमारी संस्कृति की उम्र बहोत ज़्यादा है…
इसलिए शायद उसकी बूढी हड्डियों में चोट का अहसास बहोत ज़्यादा है!
संविधान कहता है धर्मनिरपेक्ष देश है मगर धर्म के नाम पे लुटेरे बहोत ज़्यादा है!
पीने को साफ़ पानी मिले ना मिले यहाँ बहाने को खून बहोत ज़्यादा है!!

ऑफिसों में फाइलों का बोझ बहोत ज़्यादा है तो बाबुओं की चाय-पानी की प्यास बहोत ज़्यादा है!
हर एक वोट में ताकत बहोत ज़्यादा है तो नेतओं के पास नोट बहोत ज़्यादा है!
सब कहते है यहाँ के सिस्टम में खराबी बहोत ज़्यादा है पर क्या करें हमें काम बहोत ज़्यादा है!
इस देश को एक सच्चे नेता की ज़रूरत बहोत ज़्यादा है पर इस देश में राजनेता बहोत ज़्यादा है!!
कहने को तो हम एक हैं पर यहाँ “मैं” बहोत ज़्यादा है!!

कहना तो मुझे भी बहोत ज़्यादा है क्युंके सवालात बहोत ज़्यादा है!
पर जानता हूँ आपके समय की कीमत बहोत ज़्यादा है!
क्या करें, इस देश में हर चीज़ बहोत ज़्यादा है!
जानता हूँ, मानोगे नहीं, क्यूँकि यहाँ अविश्वास बहोत ज़्यादा है!!!

3 comments:

Raji said...

ha!
i like eet :)

Unknown said...

imli ki chutni....
poem bhi bohat ziyada hai... lol
its a never ending ques n ans session...
thankfully u decided to end it soon... :D

Unknown said...

exellent!! there are several things that can be said .. bt kya karun limitaions bahut jyada hai.... sochna chahte hain lekin sochne ke liye topics bahut jyada hai .. so better not to touch it.. great effort DuDe