शायद मेरे ज़ेहन में एक ख्वाब सा उमरा है,
कहीं पे किसी का जनाज़ा निकला है…
कहते हैं के वो दुश्मन है,
लाश दिखती तो हमारी है!
हमने सोचा के दामन पकड़ लें किसी का,
पर आज जिसे चाहा है, कल उसी ने छोड़ा है…
मेरे दोस्त ये भूलना नहीं,
कल जो हमारा था, आज वो पराया है!
जीना तो सबको आता है,
मौत का ही एक नमूना है…
सब कहते हैं के ज़िन्दगी है,
हमने तो मौत को जिया है!
कोई आये या ना आये महफ़िल में,
हम तो यूँही बैठे है…
तमाशा हमारा है, और हमी तमाशाई हैं!
यूँ दिखावे के आंसू ना बहा ऐ दोस्त,
आखिर ये जनाज़ा हमारा है!!