Monday, October 8, 2012
Thursday, June 14, 2012
I don't...
Don’t take
my silence for acceptance,
Don’t take
my silence for weakness,
Don’t take
my silence for your victory,
I am silent
because I stopped caring a long time back,
From this
hypocritical world I stand apart.
I know what
you will say,
I know all your
accusations and brickbats,
I have seen
it all and have nothing to say,
I am silent
because I stopped caring a long time back,
From this
hypocritical world I stand apart.
Your
standards may vary but mine don’t,
My whims
are my own,
They are
not up for your judgment so don’t
I am silent
because I stopped caring a long time back,
From this
hypocritical world I stand apart.
Saturday, February 11, 2012
मायूस सी ज़िन्दगी का जशन!
शायर तो बहोत आये, चले भी गए...
लिक्खा उन्होंने बहोत खूब, बस हम ही समझ न पाए,
नादानी मे कर बैठे कुछ ऐसी गलती, के पागल भी हमे पागल कहने लगे!
किस्मत ने सूरत-ए-हाल कुछ यूँ बयां किये, के हमारे अलफ़ाज़ भी कम पर गए...
दुनिया ने अनपढ़ कहा, हम भी खामोश रह गए!
चाहतों और नफरतों की उलझने कुछ यूँ उलझी, सुलझाते-सुलझाते ज़िन्दगी ख़त्म हो चली...
नादानी मे कर बैठे कुछ ऐसी गलती, के पागल भी हमे पागल कहने लगे!
किस्मत ने सूरत-ए-हाल कुछ यूँ बयां किये, के हमारे अलफ़ाज़ भी कम पर गए...
दुनिया ने अनपढ़ कहा, हम भी खामोश रह गए!
चाहतों और नफरतों की उलझने कुछ यूँ उलझी, सुलझाते-सुलझाते ज़िन्दगी ख़त्म हो चली...
क्या खोया, क्या पाया, ये हिसाब फिर भी लगा न सके!
किसी ने कहा मौत से इतना ना दिल लगाओ, जब भी मिलती है दर्द बहोत देती है...
किसीने शायद सुना नहीं ये, कराहते रहे हम ज़िन्दगी भर कैसे!
मय्यत का मेरे इंतज़ार हमे भी है, और उनको भी...
जशन-ए-आज़ादी का माहोल कुछ यूँ बनायेंगे, मौत भी शरमा जाएगी ये देखकर...
टुकड़ो-टुकड़ो में जो थोड़ी सी ज़िन्दगी कमाई थी हमने, जला दी वो भी आतिशबाज़ियों में!
किसी ने कहा मौत से इतना ना दिल लगाओ, जब भी मिलती है दर्द बहोत देती है...
किसीने शायद सुना नहीं ये, कराहते रहे हम ज़िन्दगी भर कैसे!
मय्यत का मेरे इंतज़ार हमे भी है, और उनको भी...
हम ज़िन्दगी से आज़ादी का जशन मनाएंगे, और उन्हें भी अपने साये से आज़ाद कर जायेंगे!
जशन-ए-आज़ादी का माहोल कुछ यूँ बनायेंगे, मौत भी शरमा जाएगी ये देखकर...
टुकड़ो-टुकड़ो में जो थोड़ी सी ज़िन्दगी कमाई थी हमने, जला दी वो भी आतिशबाज़ियों में!
Roman Script:
Mayus Si Zindagi Ka Jashn!
Likkha unhone bahot khub, bas hum hi samajh na paye.
Nadani me kar baithe kuch aisi galti, k pagal v hume pagal kahne lage!Kismat ne surate-e-haal kuch yun bayan kiye, k humare alfaaz bhi kum par gaye...
Duniya ne anpadh kaha, hum bhi khamosh rah gaye!
Chahaton aur nafraton ki uljhane kuch yun uljhi, suljhate-suljhate zindagi khatm ho chali...
Kya khoya, kya paya, ye hisaab fir bhi laga na sake!
Kisi ne kaha maut se itna na dil lagao, jab bhi milti hai dard bahot deti hai...
Kisine shayad suna nahi ye, karahte rahe hum zindagi bhar kaise!
Mayyat ka mere intezaar hume bhi hai, aur unko bhi...
Hum zindagi se aazadi ka jashn manayenge, aur unhe bhi apne saye se azaad kar jayenge!
Jashn-e-aazadi ka mahol kuch yun banayenge, maut bhi sharma jayegi ye dekhkar...
Tukdo-tukdo me jo thodi si zindagi kamayi thi humne, jala di wo bhi aatishbaziyon me!
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